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*राजस्व की नदियां बहाने वाली दुकानें अब बारिश में डूबीं,मदिरा प्रेमी हो रहे परेशान*


*राजस्व की नदियां बहाने वाली दुकानें अब बारिश में डूबीं,मदिरा प्रेमी हो रहे परेशान*

छत्तीसगढ़ परिदर्शन -पलारी।

एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार आबकारी विभाग के ज़रिए राज्य के खजाने को भरने में लगी है, वहीं दूसरी ओर जिन दुकानों से यह राजस्व प्राप्त किया जा रहा है, उनकी हालत बदहाल होती जा रही है। बलौदाबाजार जिले के पलारी क्षेत्र में स्थित देशी मदिरा दुकान की हालत देखकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सरकार को केवल राजस्व से मतलब है, न कि सुविधा से।

बारिश की एक ही बौछार में पलारी की देशी विदेशी शराब दुकान पूरी तरह से पानी में डूब गई है। दुकानों के सामने इतना पानी जमा हो गया है कि ग्राहकों को शराब लेने के लिए कीचड़ व गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है। अगर बारिश का क्रम ऐसा ही जारी रहा तो आने वाले दिनों में पानी दुकान के अंदर तक प्रवेश कर सकता है, जिससे शराब और अन्य सामग्री को नुकसान पहुँचने की पूरी संभावना है।

*हर साल की यही कहानी, पर समाधान कोई नहीं*

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। हर साल मानसून में यही स्थिति उत्पन्न होती है, लेकिन आबकारी विभाग की ओर से कभी भी स्थायी समाधान की कोशिश नहीं की गई। नाली की समुचित व्यवस्था, भूमि की ऊंचाई में सुधार, या बारिश से पहले तैयारी जैसे बुनियादी कदम भी नहीं उठाए जाते।

केवल पलारी ही नहीं, बलौदाबाजार जिले के रोहाँसी, भाटापारा, कसडोल और अन्य कई क्षेत्रों में संचालित शराब दुकानों की हालत भी कुछ ऐसी ही है। जलभराव, कीचड़, फिसलन और जहरीले जीवों का खतरा हर जगह बना हुआ है। इन दुकानों पर न तो छांव की व्यवस्था है, न बैठने की, और न ही साफ-सफाई का कोई मानक।

*67 नई शराब दुकानें खोलने की तैयारी, लेकिन पुरानी दुकानों की सुध नहीं*

सरकार जहां एक ओर आबकारी राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से 67 नई शराब दुकानें खोलने की योजना बना रही है, वहीं वर्तमान में संचालित दुकानों की व्यवस्था सुधारने की कोई मंशा दिखाई नहीं देती। इससे आमजन में यह संदेश जा रहा है कि सरकार का उद्देश्य केवल लाभ कमाना है, जनता की सुविधा या सुरक्षा नहीं। पलारी व अन्य इलाकों के मदिरा उपभोक्ताओं का कहना है कि जब सरकार उनसे राजस्व वसूल रही है, तो कम से कम सुविधाजनक और सुरक्षित माहौल देना भी उसका दायित्व बनता है। “एक तरफ सरकार कहती है कि शराब सेवन नियंत्रण में लाना है, दूसरी ओर सुविधाएं तो छोड़िए, दुकान तक पहुंचना भी चुनौती बन गया है।

*केवल कमाई नहीं, सुविधा भी ज़रूरी*

स्थानीय प्रशासनिक जानकारों और नगर निकाय से जुड़े लोगों का कहना है कि उन दुकानों का चिन्हांकन करना होगा जहां बार-बार जलभराव की समस्या आती है। वहाँ पर मुरुम-बजरी डालकर भूमि को ऊँचा किया जाना चाहिए और साथ ही पानी निकासी की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि दुकानों के अंदर पानी प्रवेश न करे और दुकान व स्टॉक को नुकसान से बचाया जा सके।सरकार यदि वाकई शराब से होने वाली आय को राज्य के विकास में प्रयोग करना चाहती है, तो पहले उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जिन दुकानों से राजस्व अर्जित कर रही है, उनकी अवस्थिति और संचालन व्यवस्था भी दुरुस्त हो। केवल राजस्व कमाना ही सरकार का मकसद नहीं होना चाहिए, बल्कि उपभोक्ताओं की सुविधा, सुरक्षा और सम्मानजनक व्यवहार भी उतना ही आवश्यक है।

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