*फुण्डरडीह पंचायत में 14वें व 15वें वित्त की राशि में गबन का बड़ा मामला उजागर*
* जाँच दल द्वारा सरपंच व सचिव पर कार्रवाई की संस्तुति*
पलारी।छत्तीसगढ़ परिदर्शन
ग्राम पंचायत फुण्डरडीह में विकास कार्यों के नाम पर 14वें एवं 15वें वित्त आयोग की लाखों रुपये की राशि का कथित गबन सामने आया है। इस मामले में पंचायत के पूर्व सरपंच त्रिवेणी वर्मा और सचिव सतकुमार कुर्रे पर छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 40 और धारा 92 के तहत कड़ी कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
शिकायत कर्ताओ ने 50 लाख से अधिक की अनियमितता का आरोप
ग्रामवासियों द्वारा कलेक्टर जनदर्शन में दर्ज कराई गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि पंचायत निधि का दुरुपयोग कर सरपंच ने अपने पति, बेटे, और अन्य रिश्तेदारों के खातों में लाखों रुपये ट्रांसफर किए। वहीं, सचिव सतकुमार कुर्रे ने स्वयं व अपने रिश्तेदार के खातों में राशि स्थानांतरित की।
जांच दल ने लगाए गंभीर आरोप
जनपद पंचायत स्तर पर गठित छह सदस्यीय जांच समिति ने शिकायतों की पुष्टि करते हुए बताया कि:पचायत की राशि डीएससी (Digital Signature Certificate) के माध्यम से पूर्व सरपंच व उनके परिजनों के खातों में ट्रांसफर की गई।कुल ₹5,82,700 की राशि का भुगतान नियम विरुद्ध पाया गया।कई कार्यों के लिए राशि आहरण किया गया, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं हुआ।
जांच में फर्जी कार्यों की पुष्टि,जांच प्रतिवेदन में दर्ज कार्यों में शामिल हैं:
सीसी रोड निर्माण,आंगनबाड़ी परिसर का निर्माण,कंप्यूटर खरीदी,भारत माता एवं अम्बेडकर मूर्ति की स्थापना,तालाब में पाइप डालने का कार्य,पंचायत भवन में बाउंड्री निर्माणइ नमें से अधिकतर कार्य कागजों तक ही सीमित पाए गए।
प्रस्तावित कार्रवाई जांच रिपोर्ट के आधार पर:
तत्कालीन समय मे जांच दल द्वारा पूर्व सरपंच त्रिवेणी वर्मा को पद से हटाने (बर्खास्त) की कार्रवाई हेतु प्रस्ताव अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पलारी को भेजा गया था।सचिव सतकुमार कुर्रे के विरुद्ध दो वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने की अनुशंसा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत को की गई है।दोनों से संयुक्त रूप से ₹5.82 लाख की वसूली करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
गांव में आक्रोश, निष्पक्ष कार्रवाई की मांग
गांव के लोगों में इस घोटाले को लेकर भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने पुनः कलेक्टर जनदर्शन मे आवेदन देकर रुके कार्यवाही को आगे बढ़ाने की मांग की है कि दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर दंड दिया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की पुनरावृत्ति न हो।यह मामला न सिर्फ ग्राम पंचायत फुण्डरडीह बल्कि पूरे ज़िले के पंचायत तंत्र पर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और सख़्ती से कार्रवाई करता है।
