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*उपार्जन केंद्र से धान उठाव मे देरी, एफआईआर के विरोध में गरजे समिति कर्मचारी*



*उपार्जन केंद्र से धान उठाव मे देरी, एफआईआर के विरोध में गरजे समिति कर्मचारी*

छत्तीसगढ़ परिदर्शन -बलौदाबाजार।

खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी प्रक्रिया पूर्ण हुए महीनों बीत चुके हैं, लेकिन अब तक जिले के कई उपार्जन केन्द्रों में धान का पूर्ण उठाव नहीं हो पाया है। नियमतः 28 फ़रवरी तक धान का उठाव हो जाना था लेकिन अभी तक लगभग 35 हजार क्विंटल धान का उठाव शेष है। ऐसी स्थिति मे धान सुखत होने पर गड़बड़ी का नाम देकर समिति के ऊपर प्रशासन द्वारा एफआईआर कराया जा रहा जिसका समिति ने खुलकर विरोध किया। आज बड़ी संख्या मे जिलेभर से समिति कर्मचारी संघ ने अपनी समस्या एवं मांगो को लेकर कलेक्टर बलौदाबाजार के नाम ज्ञापन सौपा। एकतरफा प्रशासनिक कार्रवाही को लेकर संघ मे रोष व्याप्त है तथा मांग पूरा न होने के स्थिति मे आंदोलन किये जाने की बात कही जा रही है।

*अनियमितता या प्रशासनिक लापरवाही? समिति कर्मचारियों की व्यथा*

ज्ञात हो कि कल पलारी विकासखण्ड स्थित जारा के उपार्जन केंद्र में धान गड़बड़ी के आरोप में जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराई। लेकिन आज, उसी प्रशासनिक कार्यवाही के विरोध में समिति कर्मचारी संघ कलेक्टर से मिलने पहुंचा। समिति के जिलाध्यक्ष मनीराम कैवर्त्तय का कहना है कि नीतिगत खामियों और परिवहन में देरी के कारण धान का उठाव समय पर नहीं हो पाया, जिससे नुकसान हुआ। अब कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कर देना उनकी दुर्दशा को और बढ़ा रहा है हम दिन-रात मेहनत करते हैं। धान खुले में पड़ा रहता है, चुहे, दीमक, बारिश और धूप से क्षति होती है। ये सब हम नहीं रोक सकते, फिर भी सारा दोष कर्मचारियों पर मढ़ा जा रहा है। ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष मोहन डहरिया का कहना है कि 

हम डर के माहौल में काम कर रहे हैं। एक तरफ शासन कहता है 'सहकार से समृद्धि', और दूसरी तरफ हम जैसे कर्मचारियों को अपराधी बना दिया जाता है। क्या यह कार्रवाई न्यायसंगत है या फिर एक कमजोर कड़ी को बलि का बकरा बनाया जा रहा है? सिस्टम की गलती, सज़ा हमारी क्यों?

*प्राकृतिक क्षति या घोटाला? एकतरफ़ा कार्रवाही से आहत समिति कर्मचारी पहुंचे प्रशासन के द्वार*

अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर सहकारी समिति कर्मचारी संघ, बलौदाबाजार-भाटापारा ने जिलाधीश महोदय के नाम ज्ञापन सौंपते हुए शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन में बताया गया है कि जिले की 129 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के 166 उपार्जन केन्द्रों द्वारा 31 जनवरी 2025 तक धान खरीदी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। नियमानुसार धान खरीदी के अंतिम दिन से एक माह के भीतर पूरा धान उठा लिया जाना चाहिए था। लेकिन, परिवहन नीतियों में गड़बड़ी और प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब तक अधिकांश समितियों में धान का उठाव अधूरा है। इस देरी के चलते उपार्जन केन्द्रों में संग्रहित धान प्राकृतिक रूप से सूख रहा है और चूहे, दीमक, तेज धूप जैसी समस्याओं से बोरियों सहित धान को नुकसान हो रहा है। इससे न केवल आर्थिक क्षति हो रही है, बल्कि समितियों को अतिरिक्त हमाली, चौकीदारी और बिजली बिल का भी सामना करना पड़ रहा है।

*संघ ने अपने ज्ञापन में निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखीं हैं:*

1. अवशेष धान का शीघ्र उठाव किया जाए और सुखत व अन्य क्षति की भरपाई शासन द्वारा की जाए।

2. विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी शून्य प्रतिशत शार्टेज प्रोत्साहन राशि का प्रावधान कर समितियों को प्रोत्साहित किया जाए।

3. पूर्व वर्षों से लंबित ब्याज अनुदान राशि शीघ्र जारी की जाए।

4. 2023-24 में शून्य प्रतिशत शार्टेज की प्रोत्साहन राशि अब तक अप्राप्त है, उसे जल्द प्रदान किया जाए।

5. सुखत क्षति के कारण किसी भी समिति या कर्मचारी पर एफआईआर दर्ज न की जाए और उन्हें क्षतिपूर्ति दी जाए।

संघ ने छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 500 नई सहकारी समितियों के गठन के बजट प्रावधान की सराहना करते हुए इसे 'सहकार से समृद्धि' के सपने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, किन्तु उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि वर्तमान समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो ये नई समितियाँ भी आर्थिक संकट का शिकार बन सकती हैं। ज्ञापन के माध्यम से संघ ने जिला प्रशासन से त्वरित और प्रभावी हस्तक्षेप की अपेक्षा जताई है, जिससे किसान हितों की रक्षा हो सके और सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके।




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