*जन दर्शन आवेदन मे 9 माह बाद भी नहीं हुई कार्रवाई*
*सुशासन त्योहार में भी छलावा*
भ्रष्टाचार छुपाने की नई चाल: पंचायत सचिव ने साक्ष्य मिटाने को सूचना पटल पर करवाई पोताई
सोनार देवरी सीसी रोड भ्रष्टाचार प्रकरण: आदिवासी विभाग कार्यालय में ही छिपा है सरपंच-सचिव का रक्षक?
छत्तीसगढ़ परिदर्शन -पलारी
जनपद पलारी की ग्राम पंचायत सोनारदेवरी के आश्रित ग्राम धौराभाटा में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत कराए गए निर्माण कार्यों में भारी लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि 5 लाख रुपये की लागत से प्रस्तावित सीसी रोड, जो मेन रोड से तालाब तक बननी थी, उसकी स्थिति आज भी बदहाल है। इंजीनियर की माप पुस्तिका के अनुसार कार्य पूरा कर दिया गया है और इसे एसडीओ आरईएस तथा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा प्रमाणित भी कर दिया गया है, लेकिन धरातल पर सड़क जगह-जगह गड्ढों और कीचड़ से भरी रहती है।ग्रामीणो का कहना है हमारे गाँव मे एक ही तालाब निस्तारी के है बरसात के समय हम ग्रामीण नहाने के लिये नहीं जा सकते है क्योंकि ज़ब बरसात होती है तों रोड मे करीब 4-4फिट के कीचड हो जाते है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच-सचिव की मिलीभगत से सीसी रोड, बोर खनन और स्ट्रीट लाइट जैसे अन्य विकास कार्यों में भी जमकर अनियमितता बरती गई है। इन सभी मामलों की शिकायत 27 अगस्त 2024 को कलेक्टर जनदर्शन में की गई थी, जिस पर सहायक आयुक्त, आदिवासी विभाग को जांच के निर्देश दिए गए थे। जांच टीम ने रिपोर्ट तैयार कर सहायक आयुक्त को सौंप भी दी, लेकिन 9माह बीतने के बावजूद वह रिपोर्ट कलेक्टर को प्रस्तुत नहीं की गई है। सहायक आयुक्त द्वारा रिपोर्ट को दबाकर रखना और व्यस्तता का हवाला देना, प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सरपंच-सचिव द्वारा निर्माण कार्यों की आड़ में शासकीय राशि का दुरुपयोग कर विकास कार्यों को सिर्फ कागजों पर ही पूरा दिखाया गया है। गांव में बिना निर्माण किए ही भुगतान कर दिया गया, जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से सरकारी राशि की बंदरबांट की गई है।ग्राम पंचायत सोनारदेवरी में भ्रष्टाचार के इन मामलों ने आदिवासी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
*9माह बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, सुशासन त्योहार में भी छलावा*
इस घोर लापरवाही और अनियमितता की शिकायत ग्रामीणों ने 9 महीने पहले कलेक्टर जनदर्शन में की थी, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। हाल ही में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "सुशासन त्योहार" के तहत भी ग्रामीणों ने आवेदन दिया था, उम्मीद थी कि इस बार न्याय मिलेगा, लेकिन जनपद स्तर के अधिकारियों ने मात्र आवेदन को फारवर्ड कर "निराकृत" मान लिया।
*ग्रामीणों में गहरा आक्रोश*
ग्रामीणों का कहना है कि यह 'फारवर्ड निराकरण' सरकार के सुशासन त्योहार की असलियत को उजागर करता है। लोगों ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि "सुशासन" अब केवल कागजों पर रह गया है। सरकार और प्रशासन केवल समय गुजारने का काम कर रहे हैं। भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं होती, तो यह स्पष्ट संदेश जाता है कि भ्रष्टाचारियों को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।
*सवालों के घेरे में प्रशासन की कार्यप्रणाली*
लगातार मिल रही शिकायतों और प्रस्तुत साक्ष्यों के बावजूद जब 9 माह तक कार्रवाई नहीं होती, तो यह शासन की नीयत और प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है। सरकारी योजनाओं के नाम पर ग्राम पंचायतों को करोड़ों रुपये मिलते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते गांवों में विकास की जगह सिर्फ धोखा मिल रहा है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र ही दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे मुख्यमंत्री से मिलकर इस सम्बन्ध मे चर्चा कर आगे की कार्यवाही और जनहित में न्याय की मांग को लेकर उच्च स्तर पर संघर्ष जारी रखेंगे।
यह खबर जन-जागरूकता के साथ-साथ प्रशासनिक उदासीनता और योजनाओं के वास्तविक क्रियान्वयन की स्थिति को उजागर करती है इस घोटाले मे कार्यवाही नहीं होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है
भ्रष्टाचार छुपाने की नई चाल: पंचायत सचिव ने साक्ष्य मिटाने को सूचना पटल पर करवाई पोताई
ग्राम पंचायत में सीसी रोड निर्माण में भारी अनियमितता, सूचना पटल को किया गया नष्ट
ग्राम पंचायत सोनार देवरी में भ्रष्टाचार का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पंचायत सचिव ने सीसी रोड के नाम पर की गई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के साक्ष्य को छुपाने की कोशिश में सूचना पटल को ही पोतवा दिया। यह वही सूचना पटल था, जिस पर सार्वजनिक निर्माण कार्य की जानकारी और व्यय का विवरण अंकित था, जो ग्रामीणों द्वारा भ्रष्टाचार के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उक्त सीसी रोड का निर्माण कार्य नहीं कराया गया ग्रामीणों द्वारा जब इस संबंध में आवाज उठाई गई और उच्च अधिकारियों को शिकायत की गई, तो सचिव ने जांच से बचने के लिए सूचना पटल पर सफेदी या पुताई करवा दी, जिससे उस पर लिखी सभी जानकारी मिट गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि यह कार्रवाई जानबूझकर साक्ष्य मिटाने और भ्रष्टाचार को छुपाने के उद्देश्य से की गई है। कई ग्रामीणों ने इस कृत्य का विरोध करते हुए मांग की है कि सचिव के विरुद्ध कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को दंडित किया जाए।इस मामले को लेकर अब ग्राम पंचायत में चर्चा का माहौल गर्म है,
सोनार देवरी सीसी रोड भ्रष्टाचार प्रकरण: आदिवासी विभाग कार्यालय में ही छिपा है सरपंच-सचिव का रक्षक?
सवाल उठता है – आखिर कौन है वह कर्मचारी/अधिकारी जो भ्रष्टाचारियों को बचाने में जुटा है?
सोनार देवरी ग्राम पंचायत में सीसी रोड निर्माण के नाम पर हुए भारी भ्रष्टाचार को लेकर जहां एक ओर ग्रामीणों में आक्रोश है, वहीं दूसरी ओर आदिवासी विभाग कार्यालय में ही बैठे कुछ कर्मचारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। सूत्रों की मानें तो जिस सरपंच और सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं, उन्हें कार्यवाही से बचाने का खेल इसी विभाग के किसी अंदरूनी कर्मचारी द्वारा खेला जा रहा है।
बताया जा रहा है कि जिस तरह से लगातार शिकायतों और साक्ष्यों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, उससे स्पष्ट होता है कि अंदर से कोई न कोई उच्च प्रभाव वाला व्यक्ति मामले को दबाने में लगा हुआ है। यह व्यक्ति आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त की आंखों से भी बचकर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण दे रहा है।
ग्रामीणों का यह भी कहना है सुनने मे आया है जिले के कलेक्टर तेज तर्रार और ऑन द स्पॉट निराकरण करते है किन्तु यह भी बात ढोल के पोल की तरह साबित नजर आ रही है जब 9 माह तक कार्रवाई नहीं हो रही है तों उनकेतेज तर्रार होने प्रश्न चिन्ह पैदा कर रही है छत्तीसगढ़ के एक छत्तीसगढ़ी कहावत है नवा बैला के नवा सींग चल रे बैला टिंगे टिंग जैसा प्रतीत हो रहा है साथ ही ग्रामीण यह भी का आरोप है कि पूरा जिला कार्यालय आदिवासी विभाग बदनामी की कगार पर पहुंच चुका है, और अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह विभाग जनता के भरोसे को पूरी तरह खो देगा। अब आमजन यह सवाल पूछ रहे हैं – "आखिर कौन है वो व्यक्ति जो भ्रष्टाचारियों का रक्षक बना हुआ है?"
"आखिर कौन है वो कर्मचारी जो चंद कमिशन खोरी के चक्कर मे पुरे आदिवासी विभाग सहित जिला प्रशासन को बदनाम करने पर तुले हुए है इस पूरे मामले में सहायक आयुक्त की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है। क्या उन्हें असलियत का पता नहीं, या वे भी किसी दबाव में हैं?ग्रामीणों की मांग है कि उच्च स्तरीय जांच कर यह सामने लाया जाए कि कौन अधिकारी भ्रष्ट सरपंच और सचिव को बचाने में लगा है और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस भ्रष्टाचार और साक्ष्य मिटाने एवं आदिवासी विभाग मे छिपे भ्रष्टाचारियो के रक्षक पर किस प्रकार की कार्यवाही की रुख अपनाता है।



