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**बुनियादी सुविधाओं से वंचित है ग्राम पंचायत धाराशिव**

  


*स्वच्छ छवि के शिक्षित युवा सरपंच बनाने को संकल्पित धाराशिव के ग्रामीण*

**बुनियादी सुविधाओं से वंचित है ग्राम पंचायत धाराशिव**

छत्तीसगढ़ परिदर्शन -बलौदाबाजार।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का आरक्षण प्रक्रिया संपन्न होने के बाद गांव में होने वाले आगामी पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामवासियो में खासा उत्साह देखने कों मिल रहा हैं। नामांकन से पहले ही गाँवो में लोग अपनी दावेदारी ठोकते हुए अपना प्रचार प्रसार करना चालू क़र दियें है। जिला बलौदाबाजार भाटापारा के बलौदाबाजार जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले पंचायत धारशिव, पंचायत भवन जैसे मुलभुत सुविधा से वंचित है ग्रामीण इस बार अपने गांव के विकास के लिए योग्य और ईमानदार नेतृत्व चाहते हैं। बतादे कि जनपद बलौदाबाजार के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत धाराशिव के ग्रामीणजन विकास और नेतृत्व में पारदर्शिता की नई पहल करते हुए इस बार स्वच्छ छवि वाले शिक्षित युवा सरपंच चुनने का संकल्प लिया है। आजादी के 75 वर्ष बाद भी धाराशिव का पंचायत भवन चार दशक पुराने एक जीर्ण शीर्ण मकान में संचालित होने मजबूर है। इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि जहाँ बैठने के लिए ढंग का पंचायत भवन ही न हो उस गांव का विकास किस स्तर का होगा। ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार की वजह से पंचायत भवन से वंचित ग्राम धाराशिव में अनेकों बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। गांव की सबसे बड़ी समस्या फसल सुरक्षा कों लेकर है। बड़ी आबादी वाले इस गांव में आय का मुख्य स्रोत क़ृषि है लेकिन हर वर्ष अवारा मवेशी व जानवरों से फसल कों बचाना बड़ी चुनौती बन जाता है। जनप्रतिनिधियों के निकम्मेपन व अव्यवस्थाओं के कारण किसानों के फसल कों काफ़ी नुकसान पहुँचता है। कभी रबी फसल पैदावार के लिए प्रसिद्ध गांव की स्थिति ऐसी हो गयी है कि अब किसान ग्रीष्मऋतू में तिवरा,चना,मटर जैसे ओनहारी फसल पैदा करना ही छोड़ दिए है। गांव में हायर सेकेण्डरी तक स्कूल तो है लेकिन न तो पर्याप्त स्कुल भवन है और न ही पर्याप्त शिक्षक। छोटे से भवन में जैसे तैसे बच्चे बैठ तो जातें है लेकिन शिक्षक की कमी से बच्चों की पढ़ाई सही समय पर पूर्ण नहीं हो पाती उसके बावजूद गांव के जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं देते। तीसरी बड़ी समस्या गांव में खुलेआम बीक रही दारू,गाँजा व अन्य मादक पदार्थो का है जिस कारण आज गांव के 12 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक के लगभग 70 प्रतिशत युवा नशे के गिरफ्त में है। एक दौर था ज़ब नशे के खिलाफ गांव के सरपंच सहित ग्रामीण महिलाये गली मोहल्ले में घूम घूम क़र कोचिंयो कों पकड़ती थी तथा सामाजिक व्यवस्था हेतु दण्डित भी करती थी। वही ग्रामीणों ने बताया की आसपास के अन्य गाँवो में मनरेगा कार्य नवम्बर दिसम्बरमहीने में ही चालू हो जाता है लेकिन हमारे गांव में मार्च अप्रेल के महीने में मनरेगा कार्य चालू होता है जिस कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण पहले ही पलायन क़र जाते है। गांव में स्वच्छता व जल निकासी का भी बुरा हाल है। पंचायत भवन फसल सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य स्वच्छता, मादक पदार्थो पर प्रतिबन्ध, राशन दुकान,स्टेडियम, जीम, लायब्रेरी जैसे तमाम मुद्दों कों लेकर ग्रामवासियो का कहना है कि उन्हें ऐसे सरपंच की आवश्यकता है, जो ग्रामीण शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाओं, और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करे। जल संकट, सड़क निर्माण, और रोजगार सृजन जैसे मुद्दे पर खरा उतरे। गली मोहल्लों में गांव के युवा, बुजुर्ग, और महिलायें रोज अपने विचार साझा क़र रहे है । युवाओं का कहना है कि हम अब ऐसी राजनीति नहीं चाहते, जो केवल वादे करे। हमें ऐसा सरपंच चाहिए, जो शिक्षित हो और गांव के विकास में पूरी ईमानदारी से काम करे। गांव की महिलाएं भी अब जागरूक हो गई हैं। वें भी अपने बच्चों के भविष्य और गांव की तरक्की के लिए ऐसा नेता चाहते है जिसकी छवि साफ-सुथरी हो। ऐसा नहीं है की सरकार ग्राम के विकास के लिए कुछ नहीं करती। गांव के पिछड़ेपन का कारण भ्रष्ट जनप्रतिनिधि व उसका निकम्मापन है। बड़ी आबादी होने के कारण बड़ी मात्रा में शासकीय धनराशि गांव कों मिलता है लेकिन आज तक जितने भी जनप्रतिनिधि बने सबने अपना जेब भरने का काम किया। तानाशाही व दादागिरी करके विकास कार्य के लिए मिले पैसों कों डकार गए। लेकिन इस बार ग्रामवासी ने भ्रष्ट नेताओं कों पूरी तरह नकारते हुए स्वच्छ छवि के शिक्षित युवा सरपंच बनाने के लिए संकल्पित है।

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