*कोहरौद समाधान शिविर में अव्यवस्था का बोलबाला: सुशासन तिहार में लापरवाही का राज*
छत्तीसगढ़ परिदर्शन -बलौदाबाजार।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित सुशासन तिहार के तीसरे चरण के तहत समाधान शिविर का आयोजन सतत जारी है। इसी कड़ी में आज बलौदाबाजार विकासखण्ड के कोहरौद कलस्टर में भी समाधान शिविर आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य था – जनसमस्याओं का त्वरित समाधान और शासन-प्रशासन को जनता के करीब लाना। परंतु यह शिविर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की बजाय प्रशासनिक अव्यवस्था, लापरवाही और अनदेखी का उदाहरण बनकर रह गया। शिविर में जो कुछ हुआ, उसने सुशासन तिहार की भावना को ही कठघरे में ला खड़ा किया।
*कलेक्टर की फटकार: प्रशासनिक लापरवाही पर भड़के दीपक सोनी*
कोहरौद समाधान शिविर में अव्यवस्था की हद पार हो गई। कलेक्टर दीपक सोनी ने कार्यक्रम के दौरान अव्यवस्था और कर्तव्यों से विमुख अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई। खासकर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अमित गुप्ता की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि आगे से ऐसी लापरवाही नहीं चलेगी। साथ ही दुरुस्त होकर कार्य करने की हिदायत भी दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रशासनिक कसावट नहीं लाई गई तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
*परंपरा का अपमान: समय पर दीप प्रज्वलन भी नहीं हो पाया*
कार्यक्रम की शुरुआत ही एक बड़ी भूल के साथ हुई। जैसे ही मंच पर दीप प्रज्वलन की बारी आई, वहां रखा दिया तेल के अभाव में जलाया ही नहीं जा सका। इस गंभीर भूल से आयोजन समिति की गैरजिम्मेदाराना सोच उजागर हुई। शुभारंभ जैसे सांकेतिक कार्यों में ऐसी चूक आयोजन की गंभीरता पर सवाल खड़ा करती है।
*साउंड सिस्टम बना परेशानी का सबब*
शिविर में लगाए गए साउंड सिस्टम ने सबकी परीक्षा ली। आवाज़ बार-बार गायब हो रही थी और तेज सायरन जैसी ध्वनि उत्पन्न हो रही थी, जिससे मंचस्थ अधिकारी, जनता और विशेष रूप से कलेक्टर भी असहज हो गए। अंततः मंच से ही कलेक्टर ने चेतावनी दी कि भविष्य में इस साउंड सिस्टम का उपयोग दोबारा किया गया तो सख्त कार्रवाई होगी।
*जनता नदारद: क्या भरोसा उठ चुका है?*
कोहरौद कलस्टर में कुल 12 ग्राम पंचायतें जिसमें कोहरौद, धाराशिव, कुम्हारी, बगबुड़ा, बम्हनपूरी, हरदी, कारी, खैन्दा,खैरा, तुरमा,भालूकोना, चितावार शामिल की गई थीं, परंतु जनभागीदारी नगण्य रही। पूरा शिविर अधिकारी-कर्मचारियों से भरा था, जबकि आम जनता की उपस्थिति काफी कम थी। यह स्थिति गंभीर प्रश्न उठाती है – क्या शिविर का प्रचार-प्रसार ही नहीं हुआ? या फिर आमजन का भरोसा ही खत्म हो गया है? लोगों की सीधी भागीदारी लगभग शून्य रही, जो व्यवस्था की असफलता को दर्शाती है।
*अधिकारी और स्टाफ गायब: कर्तव्य से मुँह मोड़ा*
शिविर की सबसे बड़ी कमजोरी रही आवश्यक स्टाफ की अनुपस्थिति। 12 पंचायतों में से केवल एक आवास मित्र उपस्थित रहा। अधिकांश रोजगार सहायक नदारद थे। महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी लवन सहित कई विभागीय अधिकारी कार्यक्रम से गायब रहे। इससे जनता की समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं था।
*मूलभूत व्यवस्थाओं की भारी कमी:*
सुबह 10 बजे से मंच पर जनप्रतिनिधि मौजूद थे, लेकिन 3 घंटे तक मंच पर एक बोतल पानी भी नहीं पहुंचाया गया। कार्यक्रम के लिए केवल 4 मुरझाए गुलदस्ते लाए गए और पूरी व्यवस्था में मात्र एक गेंदा फूल की माला दिखी। मंच और टेंट की साइज इतनी छोटी थी कि कई विभागों को खुले धूप में स्टॉल लगाना पड़ा। जनता की संख्या कम होने के बावजूद बैठने की कुर्सियां तक उपलब्ध नहीं थीं। पंखे और कूलर की संख्या भी बेहद कम थी, जिससे लोग गर्मी से बेहाल रहे। ये सभी अव्यवस्थाएं भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं, क्योंकि बाद में इन्हीं की भारी-भरकम बिल लगाकर सचिव लोग अपने जेब भरने का काम करेंगे।
*"आश्वासन शिविर" बना समाधान शिविर*
जनता जिन उम्मीदों के साथ आई थी, वे पूरी नहीं हो सकीं। महतारी वंदन योजना, भूमिहीन मजदूर योजना, उज्ज्वला योजना, मनरेगा के तहत तालाब/नाला निर्माण जैसे मुद्दों पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। राज्य सरकार द्वारा नए आवेदन अस्थायी रूप से बंद किए जाने के कारण केवल आश्वासन दिए गए। ऐसे में लोग निराश होकर लौटे और इसे “समाधान नहीं, आश्वासन शिविर” कहने लगे।
*जनता की व्यथा: "समस्याएं ज्यों की त्यों"*
अधिकांश आवेदक यह कहकर लौटे कि उनकी समस्याओं का न तो समाधान हुआ, न ही किसी प्रकार की तसल्लीजनक सुनवाई। समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं, और सरकार सुशासन तिहार के नाम पर सिर्फ प्रचार कर रही है। यह जनता के विश्वास के साथ धोखा है
*भरोसे की परीक्षा में फेल हुआ शिविर*
कोहरौद का समाधान शिविर एक उदाहरण बन गया है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही किसी अच्छे उद्देश्य को विफल कर सकती है। जनसंपर्क, आधारभूत सुविधा, जवाबदेही और पारदर्शिता – चारों ही मोर्चों पर यह शिविर असफल रहा। सुशासन की बात करने वाला शासन जब स्वयं अव्यवस्था में डूबा हो, तो जनता का विश्वास डगमगाना स्वाभाविक है।
कलेक्टर दीपक सोनी ने वन टू वन करते हूँ कार्यक्रम मे उपस्थित आम जनता से योजनाओं की धरातल मे स्थिति जानी उन्होंने प्रचलित नामचीन योजनाओं की जानकारी आम जनता से हाथ उठाकर जानी एवं कलेक्टर की इस कार्यवाही से जनता मे प्रशासन की अटूट विश्वास झलकते दिखाई पड़ी।कलेक्टर दीपक सोनी ने सभी 12 पंचायतो की सरपंच से भी अपने गावो की विषयवस्तु एवं समस्या को बताने साथ ही साथ उनके निराकरण करने का आश्वासन भी दिया। इसके आलावा कलेक्टर ने मंच की माध्यम जल संचयन की शपथ भी दिलाई।
प्राप्त आवेदन 39सौ मे से 38सौ आवेदक का निराकरण किया जा चूका है शेष आवेदन के निराकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अव्यव्यस्था की कुछ शिकायत पर कलेक्टर सर नाराज हुए बाकि व्यवस्था सुधार ली गयी है।
अमित गुप्ता
अनुविभागीय अधिकारी (रा) बलौदाबाजार

