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*नवागांव महिला सरपंच पर प्रशासनिक एवं राजनैतिक अत्याचार*


*नवागांव महिला सरपंच पर प्रशासनिक एवं राजनैतिक अत्याचार*

 *चार महीने से पंचायत सचिव नदारद*, *कामकाज ठप*


छत्तीसगढ़ परिदर्शन -बलौदाबाजार।

गांव की तरक्की और लोगों की भलाई का सपना लेकर पंचायत चुनाव लड़ीं अंजू कोसले आज खुद व्यवस्था की बेरुखी का शिकार बन गई हैं। ग्राम पंचायत नवागांव की नवनिर्वाचित सरपंच अंजू कोसले को चार महीने बीत जाने के बाद भी अपने अधिकार नहीं मिल पाए हैं। पंचायत सचिव की गैरमौजूदगी ने न केवल पंचायत का कामकाज ठप कर दिया है, बल्कि सरपंच की मंशा और ग्रामीणों की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया है।

गांव की उम्मीद बनकर उभरीं नवागांव की नवनिर्वाचित सरपंच अंजू कोसले इन दिनों खुद ही बेबस और लाचार नजर आ रही हैं। चार महीने बीत गए, लेकिन ना उन्हें पंचायत का चार्ज मिला, ना फाइलें, ना ही विकास योजनाओं पर काम शुरू हो पाया। कारण – पंचायत सचिव की मनमानी और एक सधी हुई राजनीतिक साजिश।

सपनों को पंख नहीं, बंदिशें मिलीं

सरपंच अंजू कोसले बताती हैं कि वह गांव के बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए काम करना चाहती हैं, लेकिन उन्हें अब तक पंचायत का चार्ज तक नहीं दिया गया है। न तो कोई दस्तावेज उपलब्ध कराए गए और न ही किसी योजना की जानकारी। पंचायत सचिव बीते चार महीनों में केवल एक बार गांव आईं और तब से अब तक लापता हैं।

न योजना, न विकास – ग्रामीण बेहाल

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पंचायत सचिव की गैरहाजिरी के कारण ना तो पेंशन बन रही है, न आवास की प्रक्रिया चल रही है और न ही मजदूरी का भुगतान हो पा रहा है। एक महिला बुजुर्ग कहती हैं, “बेटा, अब पेंशन भी नहीं मिलती… किससे कहें, सरपंच भी बेबस है।”

शिकायत पर धमकी – धारा 40 की तलवार

सरपंच अंजू ने अपनी शिकायत जनपद सीईओ, कलेक्टर और सुशासन तिहार शिविरों में कई बार दर्ज करवाई, लेकिन उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली। उल्टा अफसरों ने धारा 40 के तहत पद से हटाने की धमकी दे डाली, जिससे अंजू और भी आहत हैं।

राजनीतिक हस्तक्षेप बना विकास में रोड़ा

सूत्रों की मानें तो सरपंच अंजू कोसले की ईमानदारी और सक्रियता कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पुराने सत्ता समूहों को रास नहीं आ रही है। गांव में एक गुट विशेष वर्षों से दबदबा बनाए हुए था, जो अब पंचायत में अपनी पकड़ कमजोर होते देख बौखला गया है। इसी वजह से सचिव को 'इशारों पर' गायब रखा गया है ताकि पंचायत को पंगु बनाकर सरपंच को बदनाम किया जा सके। ग्रामीण सूत्र बताते है कि पूर्व सरपंच एवं सचिव के पति अभी वर्तमान जनपद सदस्य है जिनका संपर्क एवं सम्बन्ध सत्ताधारी उच्च राजनीतिक कारको से है जिसके दबाव मे अधिकारी न तो कलम उठा पा रहे है और नहीं मुँह।

अधिकार मांगने पर मिली धारा 40 की धमकी

सरपंच अंजू ने जनपद सीईओ, जिला कलेक्टर और सुशासन तिहार शिविरों में बार-बार शिकायत की, लेकिन नतीजा उल्टा निकला। शिकायत करने पर उन्हें धारा 40 के तहत पद से हटाने की चेतावनी मिल गई। ग्रामीणों का कहना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है, जिससे महिला नेतृत्व को कमजोर किया जा रहा है।

ग्रामीणों का आरोप – “सरपंच को बदनाम करने की चाल”

गांव के लोगों का कहना है कि सचिव की गैरहाजिरी और योजनाओं में अड़चन जानबूझकर पैदा की जा रही है ताकि सरपंच को कामकाज में अक्षम साबित किया जा सके। एक ग्रामीण ने कहा, “हमने बहू-बेटी को जिम्मेदारी दी है, लेकिन अब उसी को दबाने की कोशिश हो रही है।”

प्रशासन से मांग – नया सचिव मिले, चार्ज सौंपा जाए

ग्रामीणों ने एक सुर में जिला प्रशासन से मांग की है कि पंचायत सचिव को तत्काल हटाया जाए और नए सचिव की नियुक्ति कर सरपंच अंजू को पंचायत का चार्ज सौंपा जाए। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच को काम करने का पूरा मौका मिलना चाहिए, अन्यथा गांव का विकास रुक जाएगा।


इन सब गतिविधियों एकदम स्पष्ट है जनपद के अधिकारी राजनीति चंगुल मे फंसे है जो यहां कुर्सी बनाय रखने के लिये स्टेम रबर का काम कर रहे है। प्रशासनिक कार्य छोड़ राजनैतिक आदेश के पालन कर रहा है 

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