*जिला संपर्क केंद्र एवं समाधान से शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं*
*बरसात से पहले शासकीय भूमि पर अवैध रेत का भंडारण, प्रशासन मौन*
छत्तीसगढ़ पारिदर्शन-पलारी
बरसात से पहले पलारी तहसील के ग्राम बौइरडीह में शासकीय भूमि पर बड़े पैमाने पर अवैध रेत का भंडारण किया गया है। हैरानी की बात यह है कि ग्रामीण द्वारा जिला प्रशासन के संपर्क केंद्र और समाधान सेल में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
ग्रामीण शिकायतकर्ता ने बताया कि 19 जून को उन्होंने मोबाइल के माध्यम से समाधान सेल में मौखिक शिकायत की थी, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया कि बौइरडीह गांव में सौ से अधिक ट्रिप रेत का अवैध भंडारण किया गया है। शिकायत के बाद उम्मीद थी कि प्रशासन त्वरित कार्रवाई करेगा, लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
शिकायतकर्ता ने खनिज विभाग के निरीक्षक भूपेंद्र कुमार भक्त से भी सीधे संपर्क किया, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया बेहद निराशाजनक रही। ग्रामीण के अनुसार, निरीक्षक ने यह पूछताछ की कि रेत किसका है, क्या वह किसी राजनीतिक व्यक्ति से जुड़ा है, और फिर अनावश्यक सवाल-जवाब करने लगे। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारी की बातचीत से ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वे कार्रवाई के बजाय मामला रफा-दफा करने के मूड में हैं।
कलेक्टर ने दिए थे कड़े निर्देश, फिर भी पालन नहीं
गौरतलब है कि 17 जून को कलेक्टर दीपक सोनी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक हुई थी, जिसमें खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण को लेकर सख्त निर्देश जारी किए गए थे। कलेक्टर ने साफ तौर पर कहा था कि 10 जून से 15 अक्टूबर तक रेत की निकासी पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगी। केवल भंडारित रेत को रॉयल्टी पर्ची के साथ ही परिवहन की अनुमति दी जाएगी। सभी संबंधित विभागों को आपसी समन्वय से ठोस कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे।
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रेत माफियाओं की चांदी, गरीबों की जेब पर डाका
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि रेत माफिया इस अवैध भंडारण को दोगुने दाम में बेचने की फिराक में हैं। खासतौर पर जिन गरीब ग्रामीणों को आवास की स्वीकृति मिली है, उनसे अधिक कीमत वसूल कर कालाबाजारी की जाएगी। ऐसे में सरकार की योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिलने के बजाय रेत माफिया उठा लेंगे।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
अब सवाल उठता है कि जब खुद कलेक्टर ने सख्त निर्देश दिए हैं तो फिर नीचे स्तर पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या खनिज विभाग की लापरवाही के चलते रेत माफिया बेलगाम होते जा रहे हैं? ग्रामीणों की मांग है कि इस मामले में तत्काल जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
अब देखना होगा कि क्या प्रशासन ग्रामीणों की शिकायत पर गंभीरता से संज्ञान लेता है या फिर रेत माफियाओं के आगे नतमस्तक रहता है।

