*उपजेल में बंद कैदी की मौत*, *परिजनों ने लगाया मारपीट का आरोप* – *ग्राम खैरी को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल*
*जेल भेजने से पहले MLC रिपोर्ट ‘सामान्य*, *फिर कैसे हुई मौत?* *डॉक्टरी प्रक्रिया पर उठे सवाल*
छत्तीसगढ़ परिदर्शन-बलौदाबाजार|
बलौदाबाजार जिले की उपजेल में बंद कैदी उमेंद्र बघेल की इलाज के दौरान मौत हो गई। यह घटना 13 जून को सामने आई, जिसने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर बहस छेड़ दी है।8 जून को पलारी थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए उमेंद्र बघेल पर आरोप था कि वे ग्राम खैरी में शराब निर्माण में लिप्त थे। गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
मृतक की पत्नी शकुन्तला बघेल ने बताया कि उनके पति शराब पीने के आदी थे, लेकिन वे किसी भी प्रकार के शराब व्यापार में संलिप्त नहीं थे। उन्होंने पुलिस और जेल प्रशासन पर अनावश्यक रूप से फंसाने और जेल में मारपीट करने का गंभीर आरोप लगाया है।मेरा पति घर का इकलौता कमाने वाला था। अब हमारे सामने रोज़ी-रोटी का संकट है। सरकार को निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और बच्चों के पालन-पोषण का भी प्रबंध करना चाहिए," "अगर जेल में तबीयत बिगड़ी थी तो हमें सूचना क्यों नहीं दी गई? यह बहुत बड़ी लापरवाही है," – शकुन्तला बघेल, मृतक की पत्नी-
*ग्राम खैरी को लेकर उठे सवाल*
इस मामले में एक विशेष पहलू ध्यान खींचता है – वह है ग्राम खैरी को लेकर पुलिस की लगातार कार्रवाई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी पलारी थाना में नया थाना प्रभारी नियुक्त होता है, तो उसकी पहली बड़ी कार्रवाई ग्राम खैरी में होती है। इतिहास गवाह है कि हर नए प्रभारी के कार्यभार ग्रहण करते ही खैरी में छापा या गिरफ्तारी जैसी बड़ी कार्रवाई होती रही है।
अब प्रश्न यह उठता है कि बार-बार ग्राम खैरी को ही क्यों निशाना बनाया जाता है? क्या यह संयोग है या कोई पूर्वनियोजित रणनीति? इस विषय में प्रशासन ने अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।
खैरी गाँव के ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि मृतक एकदम गरीब परिवार से जो रोजमर्रा दिहाड़ी मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता था वह मृतक शराब की बिक्री नहीं करता था मृतक के ऊपर कोई आपराधिक प्रकरण नहीं है मृतक दिहाड़ी मजदूरी करने के कारण शराब सेवन करता था पुलिस द्वारा कार्यवाही दिखाने के उद्देश्य से बेचारे मृतक को जेल भेज दिया गया।
जेल भेजने से पहले MLC रिपोर्ट ‘सामान्य’, फिर कैसे हुई मौत? डॉक्टरी प्रक्रिया पर उठे सवाल
बलौदाबाजार उपजेल में बंद कैदी उमेंद्र बघेल की मौत ने प्रशासन और पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर एक और गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। अब मामला केवल जेल या पुलिस की लापरवाही तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि चिकित्सा प्रक्रिया – डॉक्टरी मुलाहिजा (एमएलसी) – पर भी गंभीर संदेह जताए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, जब 8 जून को उमेंद्र बघेल को शराब निर्माण के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, तो उससे पहले नियमानुसार चिकित्सा अधिकारी द्वारा एमएलसी (मेडिको लीगल केस) जाँच करवाई गई थी, जिसमें उन्हें पूर्णतः 'सामान्य' घोषित किया गया था।
लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि –
*अगर मेडिकल रिपोर्ट सामान्य थी, तो फिर कुछ ही दिनों में उनकी तबीयत इतनी कैसे बिगड़ गई कि उनकी मृत्यु हो गई?*
*क्या मेडिकल जांच सिर्फ औपचारिकता के तौर पर की गई थी?*
*या फिर जेल में ऐसी कोई स्थिति बनी, जिसकी जानकारी एमएलसी रिपोर्ट में नहीं दी गई?*
*एमएलसी रिपोर्ट की पारदर्शिता पर सवाल*
स्वाभाविक रूप से यह सवाल गहराता जा रहा है कि – क्या चिकित्सा अधिकारी द्वारा की गई जांच केवल खानापूर्ति थी? अगर मृतक का स्वास्थ्य पहले से खराब था, तो डॉक्टर को यह रिपोर्ट में दर्शाना चाहिए था।
वहीं दूसरी ओर, यदि जांच में सबकुछ सामान्य था, तो जेल में ऐसी कौन-सी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं, जिससे उनकी तबीयत गंभीर रूप से बिगड़ी और मृत्यु हो गई?
*जांच की माँग तेज*, *मेडिकल स्टाफ भी घेरे में*
अब परिजनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय और स्वतंत्र जांच की मांग की है, जिसमें न सिर्फ पुलिस और जेल प्रशासन बल्कि एमएलसी तैयार करने वाले चिकित्सकों की भूमिका की भी समीक्षा की जाए।
पूरे घटनाक्रम पर संज्ञान लेते हुए क्षेत्रीय विधायक संदीप साहू ने कहा है कि इस मामले की उच्च स्तरीय और पारदर्शी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी प्रकार की प्रशासनिक लापरवाही या पुलिस ज्यादती सामने आती है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
क्षेत्रीय विधायक संदीप साहू ने भी कहा कि “मेडिकल सिस्टम की जवाबदेही भी उतनी ही आवश्यक है जितनी पुलिस प्रशासन की। यदि कोई दोषी पाया जाता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
*न्यायाधीश की उपस्थिति में हुआ पंचनामा और पोस्टमार्टम*
घटना के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। मृतक का पंचनामा और पोस्टमार्टम न्यायाधीश की उपस्थिति में कराया गया, जिसके बाद शव परिजनों को सौंपा गया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि पलारी थाना क्षेत्र के ग्राम खैरी में 8 जून को आबकारी एक्ट के तहत उमेंद्र बघेल सहित छह लोगों को शराब बनाते पकड़ा गया था। उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेजा गया था। जेल में उनकी तबीयत खराब होने पर 10 जून को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 13 जून को उनकी मौत हो गई।
फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। लेकिन जिस प्रकार से मेडिकल रिपोर्ट और मौत के बीच का विरोधाभास सामने आया है, उसने सिस्टम की पारदर्शिता और संवेदनशीलता दोनों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट रूप से बताया जा सकेगा। लेकिन मृतक के परिजनों के आरोपों ने जनभावनाओं को झकझोर दिया है।
यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति की मौत से जुड़ा है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही, पुलिस कार्रवाई की पारदर्शिता और क्षेत्रीय संतुलन जैसे गंभीर सवाल भी खड़ा करता है।

