*युक्तियुक्तकरण को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान*
*युक्तियुक्तकरण पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उठा पारदर्शिता का सवाल* *कलेक्टर बोले* – *प्रक्रिया पारदर्शी*, *पत्रकारों ने जताई आपत्ति*
*युक्तियुक्तकरण को लेकर कांग्रेस का भाजपा पर तीखा वार*, *सुबोध अग्रवाल बोले* – *जवाब देने से कतरा रही है सरकार*
छत्तीसगढ़ परिदर्शन- बलौदाबाजार।
राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में लागू किए जा रहे युक्तियुक्तकरण (Rationalization) को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में उबाल आ गया है। बलौदाबाजार जिले में इस मुद्दे पर प्रशासन और कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। जिला कलेक्टर दीपक सोनी और जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता कर स्पष्ट किया कि राज्य में कोई स्कूल बंद नहीं हो रहे हैं, बल्कि केवल स्कूलों का विलय किया जा रहा है ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके। उन्होंने इसे लेकर फैलाई जा रही जानकारियों को भ्रामक बताया।शिक्षकों की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को लेकर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस समय माहौल गरमा गया जब पत्रकारों ने प्रक्रिया की पारदर्शिता और सूचनाओं के अभाव पर तीखे सवाल उठाए। जिला कलेक्टर दीपक सोनी और जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय की उपस्थिति में हुई इस प्रेस वार्ता में पत्रकारों ने शिक्षक काउंसलिंग प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर बिंदुओं पर जवाब मांगा।
पत्रकारों ने सवाल उठाया कि काउंसलिंग प्रक्रिया को गुप्त बताने वाले जिला शिक्षा अधिकारी अब पारदर्शिता की बात कैसे कर रहे हैं। यह पूछा गया कि यदि प्रशासन को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी ही थी, तो वह प्रक्रिया से पहले क्यों नहीं की गई? पहले शिक्षकों की सूची, पदस्थापन और प्रक्रिया को सार्वजनिक किया जाता, फिर काउंसलिंग होती, ताकि प्रक्रिया निष्पक्ष प्रतीत होती।
*कलेक्टर का जवाब* – *प्रक्रिया पारदर्शी रही*
इस पर कलेक्टर दीपक सोनी ने सफाई देते हुए कहा कि शिक्षकों की काउंसलिंग पूरी पारदर्शिता के साथ की गई है और किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं हुई है। वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारतीय ने दावा किया कि लगभग 90% शिक्षक युक्तियुक्तकरण के तहत नई जगह ज्वाइन कर चुके हैं, और शेष 10% शिक्षक भी जल्द ही योगदान दे देंगे।
*पत्रकारों का तर्क* – *शिक्षक सरकारी हैं,दबाव या फिर कुछ में भी ज्वाइन करेंगे*
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद पत्रकारों ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकारी शिक्षक तो कहीं भी पदस्थ होंगे ही, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वे स्वेच्छा से सहमत हैं। उन्होंने आशंका जताई कि कई शिक्षकों ने संभवतः दबाव में आकर पदस्थापन को स्वीकार किया होगा।
*अटैचमेंट शिक्षकों के आंकड़ों पर घिरी शिक्षा विभाग*
एक अन्य पत्रकार द्वारा अटैचमेंट पर कार्यरत शिक्षकों की अद्यतन संख्या मांगे जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी के पास स्पष्ट आंकड़े नहीं होने की बात सामने आई। यह जानकारी नहीं होना तब और अधिक सवाल खड़े करता है जब युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को "पूर्ण" बताया जा चुका है।
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने इसे भाजपा सरकार की शिक्षक विरोधी नीति करार दिया है। कांग्रेस प्रदेश महामंत्री सुबोध अग्रवाल ने आरोप लगाया कि सरकार 10,463 स्कूलों को बंद कर उनके यू-डाइस कोड समाप्त कर रही है। उन्होंने दावा किया कि इससे न सिर्फ शिक्षकों के पद समाप्त होंगे, बल्कि रसोइया, चौकीदार सहित अन्य सहायक कर्मचारियों की नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के युक्तियुक्तकरण को लेकर उठते विवाद के बीच कांग्रेस ने अब भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पर सीधा हमला बोल दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध अग्रवाल ने एक तीखी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भाजपा सरकार प्रदेश की जनता को गुमराह कर रही है और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं शिक्षामंत्री जवाब देने से बच रहे हैं।सुबोध अग्रवाल ने सवाल उठाया कि आखिर ऐसी क्या आवश्यकता पड़ी कि राज्य सरकार हर जिले में जिला कलेक्टरों के माध्यम से युक्तियुक्तकरण पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करवा रही है? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार अपने विवादास्पद निर्णयों को छुपाने के लिए अधिकारियों को ढाल बना रही है, जबकि खुद मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मौन साधे हुए हैं।
*सरकार पर कर्मचारियों और महिलाओं के रोजगार छीनने का आरोप*
अग्रवाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने 10,000 से अधिक स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया है, जिससे राज्य के लाखों छात्र प्रभावित होंगे। साथ ही उन्होंने चिंता जताई कि इस निर्णय से स्कूलों में कार्यरत रसोइया, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, चौकीदार और स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं—जो मध्यान्ह भोजन योजना में कार्यरत थीं—उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है।
*उन्होंने सरकार से पूछा* "क्या छत्तीसगढ़ की सरकार के पास इतना भी वित्तीय संसाधन नहीं है कि वह बच्चों की शिक्षा और महिला स्व-सहायता समूहों का भविष्य सुरक्षित रख सके?" उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं को भी धोखा दे रही है जो वर्षों से शिक्षक भर्ती की प्रतीक्षा कर रहे थे।
*प्रशासन पर दबाव डालकर फैसले थोपने का आरोप*
सुबोध अग्रवाल ने यह भी कहा कि राज्य सरकार जिला शिक्षा अधिकारियों और प्रशासनिक तंत्र पर दबाव बनाकर इस फैसले को लागू करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल शिक्षा तंत्र को नहीं, बल्कि राज्य के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को भी नुकसान पहुंचाएगा।
युक्तियुक्तकरण को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेंद्र शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की दिशा में काम कर रही है और यह निर्णय न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और बेरोजगारों के साथ भी अन्याय है।शर्मा ने कहा कि यूपीए सरकार के समय पूर्व प्रधानमंत्री स्व. डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अंतर्गत देशभर में शिक्षा का ढांचा मजबूत करने के लिए नीति बनाई गई थी। इस योजना के तहत प्रत्येक एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक शाला और प्रत्येक तीन किलोमीटर में पूर्व माध्यमिक शाला खोलने का निर्णय लिया गया था। इन स्कूलों में निर्धारित संख्या में शिक्षकों और प्रधानपाठकों की नियुक्ति भी की गई थी, जिससे गांव-गांव तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाई जा सके।उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अब यह कहकर स्कूलों को बंद या विलय कर रही है कि उनमें छात्र संख्या कम है। जबकि सच्चाई यह है कि सरकार की नीति और संसाधनों की कमी के कारण आज ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा उपेक्षित हो रही है। शर्मा ने बताया कि सरकारी स्कूलों में जहां मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म और मध्यान्ह भोजन जैसी योजनाएं हैं, वहीं ग्रामीण जनता को मजबूरी में महंगे निजी स्कूलों की ओर रुख करना पड़ रहा है।
*भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप*
सुरेंद्र शर्मा ने भाजपा पर चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 57,000 शिक्षकों की भर्ती की बात कही थी। तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने विधानसभा सत्र में 33,000 शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की थी। लेकिन अब राज्य सरकार युक्तियुक्तकरण के नाम पर नए सेटअप तैयार कर शिक्षकों के पदों को ही समाप्त करने की कोशिश कर रही है।
*प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल*
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जिस प्रकार से शिक्षा विभाग और प्रशासन ने कई सवालों पर स्पष्ट और सटीक उत्तर नहीं दिए, उससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या पूरी प्रक्रिया वास्तव में पारदर्शी रही या नहीं।
एक ओर प्रशासन युक्तियुक्तकरण को व्यवस्थागत सुधार बता रहा है, वहीं दूसरी ओर पत्रकारों और शिक्षकों की ओर से उठाए जा रहे सवालों से जाहिर होता है कि प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर संदेह बरकरार है।यदि समय रहते सरकार और प्रशासन जनता और हितधारकों के सवालों का जवाब नहीं देते, तो यह विवाद आने वाले समय में और अधिक गहराने की संभावना रखता है।
तों वही युक्तियुक्तकरण पर सरकार के फैसले को लेकर जहां प्रशासन इसे व्यवस्थागत सुधार बता रहा है, वहीं कांग्रेस लगातार इसे एक "छिपी हुई कटौती नीति" बता रही है। सुबोध अग्रवाल के बयानों ने यह साफ कर दिया है कि यह मुद्दा आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की राजनीति का केंद्र बिंदु बनने जा रहा है।

