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*सोसाइटियों में यूरिया गायब, किसान रोज़ लगा रहे चक्कर*

 


*सोसाइटियों में यूरिया गायब, किसान रोज़ लगा रहे चक्कर*

बलौदाबाजार।छत्तीसगढ़ परिदर्शन

धान की फसलों के महत्वपूर्ण चरण पर यूरिया की भारी किल्लत ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। लवन शाखा अंतर्गत आसपास की सहकारी समितियों में यूरिया उपलब्ध नहीं होने से किसान लगातार चक्कर काटने को मजबूर हैं। दूसरी बार खाद डालने का समय होने के बावजूद समितियों और बाजार दोनों जगह यूरिया खाद की अनुपलब्धता से किसान गहरी चिंता में हैं।


*कलेक्टर ने की थी खाद भण्डारण व वितरण की समीक्षा*

हाल हीं मे कलेक्टर दीपक सोनी ने 25अगस्त 2025 सोमवार को क़ृषि, सहकारिता एवं अन्य सम्बधित विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर जिले में उर्वरक भण्डारण एवं वितरण की समीक्षा की। उन्होंने यूरिया की बढ़ती मांग को दृष्टिगत रखते हुए मांग अनुसार समितियो में यूरिया उपलब्ध कराने तथा उर्वरक की कलाबाजारी करने वालों पर कार्यवाही करने के निर्देश दिये कलेक्टर ने कहा कि डबल लॉक में भण्डारित लगभग166 मेट्रिक टन यूरिया को अधिक मांग वाले समितियों में पहुंचाएं। यूरिया का रैक लगने पर जिले के लिए आवंटित मात्रा अनुसार शतप्रतिशत आवंटन कराएं। उन्होंने तय मूल्य से अधिक मूल्य पर उर्वरक विक्रय करने वाले विक्रेताओं पर कार्यवाही करने लगातार जांच अभियान चलाने के निर्देश दिये। इसके साथ ही छूटे हुए किसानो का एग्रीस्टेक पोर्टल पर पंजीयन की कार्यवाही में तेजी लाने के भी निर्देश दिये।

 समितियों के चक्कर काट रहे किसान

किसानों ने बताया कि वे रोजाना अपनी-अपनी सहकारी समितियों में पहुंच रहे हैं, लेकिन वहां खाद का स्टॉक ही नहीं है। स्थिति यह है कि समितियों के कर्मचारी केवल यह कहकर किसानों को लौटा रहे हैं कि खाद नहीं आया है। इससे किसान बार-बार परेशान होकर लौट रहे हैं।

 फसल पर संकट का साया

विशेषज्ञों के अनुसार धान की फसल में दूसरी बार यूरिया डालना बेहद जरूरी होता है। इस समय खाद न मिलने से उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और पैदावार में भारी कमी आ सकती है। किसान भी मानते हैं कि यदि तत्काल खाद की आपूर्ति नहीं की गई तो उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

प्रशासन से जल्द आपूर्ति की मांग

किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर शीघ्र ही खाद की आपूर्ति नहीं हुई तो वे विरोध का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।ग्रामीण अंचलों में यूरिया की कमी ने सिंचाई और खाद वितरण व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी जल्दी इस समस्या का समाधान करता है और किसानों को राहत पहुंचाता है।

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