www.chhattisgarhparidarshannews.in

*कौड़िया उपसरपंच विष्णु साहू के नेतृत्व में कांवड़ यात्रा, सिरपुर मंदिर में किया जायेगा शिवलिंग पर जलाभिषेक*

 *कौड़िया उपसरपंच विष्णु साहू के नेतृत्व में कांवड़ यात्रा, सिरपुर मंदिर में किया जायेगा शिवलिंग पर जलाभिषेक*

पलारी।छत्तीसगढ़ परिदर्शन 

सावन के अंतिम सोमवार को कौड़िया ग्राम पंचायत से भक्तों का कांवड़ यात्रा जत्था लेकर उपसरपंच विष्णु साहू सिरपुर स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर पहुँच रहे जहां भगवान शिव का जलाभिषेक कर कौड़िया पंचायत सहित क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना करंगे। यह यात्रा "बोल बम" के जयघोष के साथ भक्तिभाव और उत्साहपूर्ण वातावरण में सम्पन्न होगा।यात्रा में मुख्य रूप से इन्द्र कुमार, यशवंत वर्मा, घनश्याम वर्मा, जितेंद्र वर्मा, टोकेश, मोहन साहू, लोकेश साहू सहित दर्जनों श्रद्धालु सम्मिलित हुए।कौड़िया उपसरपंच विष्णु साहू बताया कि वे सभी पैदल चलकर कांवड़ में पवित्र जल भरकर सिरपुर मंदिर में भगवान शिव को अर्पित करंगे।

*धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व का संगम*

कौड़िया उपसरपंच विष्णु साहू धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सिरपुर का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित है, जो महानदी के तट पर बसे ऐतिहासिक नगर श्रीपुर (प्राचीन नाम) में स्थित है। यह स्थल कभी दक्षिण कोशल की राजधानी हुआ करता था। यहां स्थित लक्ष्मण मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।लक्ष्मण मंदिर भारत का पहला ऐसा ईंट निर्मित मंदिर माना जाता है, जिसकी दीवारों पर बारीक नक्काशी की गई है। मंदिर के गर्भगृह, अंतराल, मंडप और भव्य तोरण इसकी स्थापत्य कला को दर्शाते हैं। मंदिर में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, नंदी, कार्तिकेय और देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती हैं।मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इसे एक महिला के मौन प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है, जो इस मंदिर की निर्मात्री थीं। उनकी श्रद्धा और प्रेम की छाप इस मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियों में स्पष्ट देखी जा सकती है।

*धार्मिक आस्था का जीवंत उदाहरण-उपसरपंच विष्णु साहू*

उपसरपंच विष्णु साहू ने कहा, “प्रत्येक वर्ष सावन के अंतिम सोमवार को यह यात्रा हमारी परंपरा का हिस्सा बन चुकी है। यह न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करती है, बल्कि गांववासियों के आपसी सौहार्द और सांस्कृतिक चेतना को भी प्रगाढ़ करती है।”इस प्रकार, कौड़िया से सिरपुर तक की यह कांवड़ यात्रा श्रद्धा, एकता और ऐतिहासिक विरासत का समागम बन गई, जिसने सभी प्रतिभागियों को आध्यात्मिक आनंद से भर दिया।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने